संयुक्त राष्ट्र द्वारा गरीबी उन्मूलन को लेकर जारी रिपोर्ट से यह पता चलता है कि भारत में 2006 से 2016 के बीच 27.1 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकालकर सम्मानजनक जीवन जीने की सुविधा उपलब्ध कराई गई l यह मनमोहन सिंह जी के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार की बड़ी उपलब्धियों में से एक के रूप में जानी जाएगी |
एक ऐसे समय में जब विश्व आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा था और बड़ी से बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश चुनौतियों का सामना कर रहे थे, तब मनमोहन सिंह ने अपनी आर्थिक विद्वता के सहारे न सिर्फ भारत को इस आर्थिक बदहाली के भंवर से संभाला, बल्कि समाज में अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति को गरीबी से बाहर निकला |
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संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट बताती है कि भारत ने गरीबी उन्मूलन के मूल्यांकन के लिए तय सभी 10 मानकों में सुधार किया है l देश में गरीबों के लिए उस दौरान आवास, स्वच्छता, पीने के पानी, बिजली तथा खाना पकाने के लिए ईंधन की सुविधा बड़े स्तर पर उपलब्ध कराई गई थी l इसके अलावा बाल मृत्यु में अपेक्षाकृत कमी और स्कूली शिक्षा के वर्षों में वृद्धि सुनिश्चित की गई |
संयुक्त राष्ट्र द्वारा तय मानकों के आधार पर भारत में 2005-06 के दौरान 55.1% आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन बसर कर रही थी, लेकिन 2015-16 आते-आते यह गिरकर 27.9% रह गई थी यानी लगभग आधे लोग गरीबी से मुक्त हो चुके थे l इस बड़ी सफलता का श्रेय यूपीए सरकार के दौरान मनरेगा, खाद्य सुरक्षा बिल जैसे महत्वपूर्ण सामाजिक सुधारों को जाता है l मनरेगा जैसे समाज सुधारक बिल के जरिये यह तय किया गया की ग्रामीण परिवेश में गुजर बसर कर रहे निचले तबके के लोगों के लिए कम से कम 100 दिनों का रोजगार तय हो l इस वजह से एक बहुत बड़े तबके के लिए सुनिश्चित आमदनी तय हो गई l इससे न सिर्फ उस वर्ग में सम्पन्नता आई बल्कि आर्थिक श्रृंखला भी मजबूत हुई जिससे पूरी व्यवस्था को फायदा हुआ |
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