बोफोर्स घोटाले का जिक्र करते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के पिता राजीव गांधी का जीवन भृष्टाचारी नंबर 1 के रूप में खत्म हुआ।
मोदी जी ने शनिवार को उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, “आपके पिता को ‘मिस्टर क्लीन ‘करार दिया था, लेकिन उनका जीवन भृष्टाचारी नंबर 1 के रूप में खत्म हो गया।”
18 मार्च 1986 को, भारत ने सेना के लिए 400 155 मिमी हॉविट्ज़र तोपों की पूर्ति के लिए स्वीडिश हथियार निर्माता एबी बोफोर्स के साथ 1,437 करोड़ रुपयों का सौदा किया। उस वक़्त प्रधानमंत्री राजीव गांधी के ज़ोर देन पर बोफोर्स ने प्रतिज्ञा ली के वे किसी बिचवई को शामिल नहीं करेंगे।
एक साल बाद, स्वीडिश रेडियो चैनल ने आरोप लगाया कि कंपनी ने ईS सौदे को बचाने को के लिए शीर्ष भारतीय राजनेताओं और रक्षा कर्मियों को रिश्वत दी थी। राजीव गांधी ने खुद इसकी जांच का आदेश दिया था।
1989 के लोकसभा चुनावों में, राजीव गांधी सरकार गिर गई और वी.पी. सिंह ने जनता दल का नेतृत्व किया और भाजपा समर्थित सरकार के प्रधान मंत्री बने।
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उन्होंने तीन सदस्यीयों की एक टीम बनाकर स्वीडन भेजी जिसके एक सदस्य,आ आज के वित्त मंत्री, अरुण जेटली भी शामिल थे। आठ महीने की जांच के बाद, टीम को राजीव गांधी के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला।
कारवां ने अपने लेख में बताया कि ‘क्या अरुण जेटली बोफोर्स घोटाले की जांच करने के लिए पर्याप्त थे ?’ में बताया है की “लेकिन आठ महीने बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला। इंडिया टुडे के एक लेख में एक महत्वपूर्ण सांसद ने टिप्पणी की कि यदि टीम ने “विदेश में अपनी जांच जारी रखी, तो वे जल्द ही एनआरआई होने के हकदारी होंगे।
यहां तक कि अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार ने 1999 में बोफोर्स की सीबीआई जांच के आदेश दिए।
और फरवरी 2004 में, दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जेडी कपूर ने राजीव गांधी और अन्य के खिलाफ रिश्वत के सभी आरोपों को खारिज कर दिया था।
हम चाहते हैं कि पीएम मोदी राजीव गांधी के खिलाफ रिश्वत के सभी आरोपों को खारिज किये हुए दिल्ली HC के फैसले को पढ़ें, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी सही ठहराया है।
“… CBI अपनी 16 साल की जांच में भी अब तक लोक सेवक राजीव गांधी और एस.के. भटनागर के खिलाफ बोफोर्स से रिश्वत लेने के संबंध में सबूत इकट्ठा नही कर पाई है।
2005 में, सुप्रीम कोर्ट ने फैसले को बरकरार रखा।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और पीएम मोदी को इस सच्चाई को नहीं भूलना चाहिए। कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितनी भी सच्चाई से परे हटने की कोशिश करें और उसे झूठ के साथ कवर करें, सच हमेशा खुद सामना आ जाता है।