By: Rahul Kajal
2019 की तैयारी की तरफ बढ़ता कदम होगी कांग्रेस की जन आक्रोश रैली
29अप्रैल को होने वाली रैली कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व मे होने वाली पहली राष्ट्रीय स्तर की रैली होगी। इस रैली को कामयाब बनाने की जिम्मेवारी दिल्ली, हरियाण व राजस्थान को दी गई है। इस बार इस रैली मे सभी एकजुट रखने के लिये राहुल ने पगड़ियों के सहारे खुद को दिग्गज साबित करने के प्रयासों पर रोक लगाते हुये कहा है कि इस बार रैली मे बिना किसी पगड़ी के जनाधार दिखाना होगा। इस बार की रैली इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि इस बार राहुल गांधी की टीम मे युवाओं को मौके दिये जा रहे हैं। युवाशक्ति को भी अपनी शक्ति दिखाने का बेहतरीन मौका दिया है। जन आक्रोश रैली 2019 की तरफ कदम बढ़ाने से पहले कांग्रेस के द्वारा अपनी ताकत व जनाधार को आंकने का भी प्रयास है।
इस रैली पर राहुल गांधी की उम्मीदें टिकी हैं। राहुल गांधी ने जिस तरां से इस रैली मे शामिल होने लिये दिशा-निर्देश दिये हैं उससे लग रहा है कि राहुल गांधी हर प्रदेशों मे बढ़ती गुटबाजी व हो रही गुटबंदी से दूर रखने का प्रयास कर रहे हैं। जन आक्रोश रैली के द्वारा राहुल गांधी बीजेपी सरकार के तानाशाही बनते रवैये को घेरेंगे। इस रैली मे राहुल गांधी देश की जनता के सामने खुद को एक जनप्रिय नेता के तौर पर पेश करते हुये जनता के हितों के मुद्दों पर मोदीसरकार को घेरेंगे।
जन आक्रोश रैली 2019 की तरफ बढ़ रही कांग्रेस की चुनावी तैयारीयों का हिस्सा मानी जा सकती है। जन आक्रोश रैली देश को दुर्दशा की तरफ धकेल रहे मुद्दों को जनता के सामने लाकर कांग्रेस को अपना विजन जनता के समक्ष रखने का मौका दे रही है। हम सभी को याद है जब नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित नही किया गया था तब से नरेंद्र मोदी ने रैलियों के माध्यम से खुद को जनता के सामने रखना शुरू कर दिया था।
राहुल गांधी के लिये मौके।
इस रैली के जरिये राहुल गांधी के पास मौका होगा कि जिस प्रकार से देश मे महिलाओं के प्रति दिन-ब-दिन अपराध बढ़ रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय मीडिया व समुदाय भी भारत की सरकार को इसी मुद्दे पर घेर रही है तो राहुल गांधी महिलाओं के मुद्दों को उठाकर सरकार से सवाल कर सकते हैं।
इस बार पेट्रोल-डीजल के बढ़ रहे मुद्दों पर भी राहुल गांधी मोदीसरकार को आईना दिखा सकते हैं।
नोटबंदी की विफलता को फिलहाल के दौरान एटीएम मे हुई नकदबंदी के जरिये उजागर कर सकते हैं।
नोटबंदी के कारण जा रही नौकरीयां भी इस जन आक्रोश रैली मे जनता के आक्रोश को बयान करने का जरिया होगी।
राहुल गांधी के लिये चुनौतियां।
इस रैली के दौरान जहां हमने राहुल गांधी के मौकों पर चर्चा की तो इस रैली के लिये राहुल गांधी के लिये चुनौतियां भी कम नही हैं।
अशोक गहलोत को संगठन सचिव की जिम्मेदारी देकर राहुल गांधी ने राजस्थान मे बढ़ रही आपसी विरोधता को कम किया वहीं राहुल गांधी के लिये इस बार मुख्य चुनौती हरियाणा मे खड़ी होती नजर आ रही है। वैसे राहुल गांधी ने अपनी चुनौती को पगड़ी के खेल को दूर रखकर कम कर लिया है।
राहुल गांधी के लिये मुख्य चुनौती सभी नेताओं को एकजुट रखकर मंच पर लाना तो नही है मगर उन सभी नेताओं के समर्थकों द्वारा दूसरे नेता हूटिंग करने से रोकना है हालांकि राहुल गांधी की तरफ से जो दिशा-निर्देश दिये जा रहे हैं वो इन सब चुनौतियों से पार पाना ही है।
जन आक्रोश रैली के साथ ही कांग्रेस की तरफ से एक बिगुल बज जायेगा “मोदी करलो तैयारी, सत्ता पर बैठने अब हमारी बारी”
राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी जिस तरां से आक्रामक व मिलनसार रवैया के तालमेल के साथ पेश आ रहे हैं उससे लग रहा है कि नरेंद्र मोदी के लिये 2019 का जंगे-चुनाव बहुत ही ज्यादा मुश्किल होने जा रहा है। हमारे इस अंदेशे को पुख्ता करने का काम राहुल गांधी के एक ट्वीट पर बीजेपी के मंत्रियों की प्रैस-कांफ्रेंस कर रही हैं। बीजेपी राहुल गांधी के हर ट्वीट का जवाब ऐसे नही दिया करती थी। बीजेपी इसको बेशक अपना आक्रामक रवैया कह रही हो मगर इतनी बेबस सी बीजेपी पहले नही थी जो हर ट्वीट का जवाब देना जरूरी हो गया हो।
2019 के चुनावों मे राहुल गांधी की सोशलमीडिया टीम भी निर्णायक भूमिका निभायेगी। राहुल गांधी ने सोशलमीडिया वालंटियर्स से मुलाकात कर दर्शा दिया था कि अब सोशलमीडिया पर दिनरात लगे रहने वाले वालंटियर्स को भी तबज्जो दी जायेगी। 2019 के लिये मुद्दों को सोशलमीडिया प्लेटफार्म पर जनता के सामने लाने का काम सोशलमीडिया टीम कर रही है।
अब देखना है कि 29 को जन आक्रोश रैली मे कांग्रेस अध्यक्ष जनता के सरकार के खिलाफ कितने आक्रोश को देश के सामने ला पाते हैं।