विपक्ष द्वारा 2019 के आम चुनाव के दौरान चुनाव आयोग के विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए जाने के बाद अब रिटायर्ड और वरिष्ठ नौकरशाहों ने चुनाव आयोग के कामकाज पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मंगलवार को 64 पूर्व आईएएस, आईएफएस, आईपीएस और आईआरएस अधिकारियों ने चुनाव आयोग को पत्र लिखा| पूर्व अधिकारियों द्वारा लिखे इस पत्र में कहा गया है की “2019 का लोकसभा चुनाव पिछले 30 साल में हुए चुनावों में सबसे कम निष्पक्ष और स्वच्छ माना जा सकता है|”
इस पत्र में रिटायर्ड अधिकारियों ने 2019 के जनादेश पर भी शक जताया है । इनके मुताबिक इस आम चुनाव के दौरान पुराने चुनाव आयुक्तों ने भी चुनाव आयोग की भूमिका पर दबी ज़ुबान में सवाल खड़े किए। 83 पूर्व सिविल और सैन्य अफसरों ने भी इस पत्र को समर्थन किया है।
12 पेज के इस पत्र में सिलसिलेवार तरीके से सभी छोटे – बड़े विवादों का जिक्र किया गया है और गंभीर सवाल खड़े किए गए हैं। इस पत्र के मुताबिक, चुनाव आयोग को खुद से पहल करते हुए हर कथित अनियमितता के आरोप पर सफाई जारी करने की जरुरत है । ऐसा दोबारा ना हो, यह सुनिश्चित करने के लिए भी कदम उठाया जाना चाहिए ताकि जनता का चुनावी प्रक्रिया में भरोसा कायम रहे।
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पत्र में चुनाव की तारीख, शेड्यूल, चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन, पुलवामा और बालाकोट जैसे मुद्दों का चुनाव प्रचार में इस्तेमाल किया जाना, चुनाव के दैरान पीएम मोदी के हेलीकॉप्टर की तलाशी पर आईएएस अफसर के ट्रांसफर, इलेक्टोरल बॉन्ड्स, नीति आयोग की भूमिका, नमो टीवी और ईवीएम समेत कई अहम मुद्दों को लेकर सवाल खड़े किए गए हैं।
इस पत्र को लिखने वालों में कई मुख्य सचिव, केंद्र सरकार में सचिव और अतिरिक्त और संयुक्त सचिव और राजदूत रह चुके हैं।
पूर्व अधिकारियों द्वारा लिखे इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में पूर्व आईएएस अफसर वजाहत हबीबुल्ला, अरुणा रॉय, जौहर सरकार, हर्ष मंदेर, एनसी सक्सेना और अभिजीत सेनगुप्ता शामिल है।
इनके अलावा पूर्व आईएफएस अधिकारी शिव शंकर मुखर्जी और देब मुखर्जी शामिल हैं। इस पत्र का समर्थन करने वालों में एडमिरल विष्णु भागवत, परंजॉय गुहा ठाकुरता, एडमिरल एल रामदास, निवेदिता मेनन, लीला सैमसन और प्रबल दासगुप्ता के नाम शामिल हैं।
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