मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में लिए गए बड़े फैसलों में से एक नोटबंदी का अहम फैसला लिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवम्बर 2016 को घोषणा करते हुए पांच सौ और एक हजार के नोट बंद किये थे और कहा था – इससे भ्रष्टाचार मिटेगा, काला धन ख़त्म होगा, फ़र्ज़ी करेंसी ख़त्म होगी और आतंकवाद को मदद मिलनी बंद हो जाएगी।
लेकिन अब मिल रही खबरों के मुताबिक मोदी सरकार के यह सारे दावे धराशाही हो चुके है । नेशनल इन्फोर्मेटिक्स सेंटर, जिसे लोकसभा सचिवालय द्वारा संचालित किया जाता है, ने पुष्टि की है की नोटबंदी के बाद से भ्रष्टाचार और गैरकानूनी गतिविधियों में बढ़ोत्तरी हुई है। इतना ही नहीं जब बिहार से सांसद रामप्रीत मंडल ने संसद में इस विषय पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से सवाल किया तो जवाब में निर्मला सीतारमण ने भी माना कि ‘नोटबंदी के बाद से देश में नगदी का सर्कुलेशन बढ़ा है।’और वित्त मंत्री ने ये भी कहा कि ‘नगदी के सर्कुलेशन का संबंध गैरकानूनी गतिविधियों से है।’
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केंद्रीय वृत्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने जवाब में यह भी कहा कि नवंबर, 2016 के बाद से देश में नकद का सर्कुलेशन बढ़ा है। 4 नवंबर, 2016 को देश में 17,174 बिलियन रुपए कैश सर्कुलेशन में था। जबकि 29 मार्च, 2019 को देश में 21,137 बिलियन रुपए चलन में है।
इकोनॉमिक सर्वे 2016-17 वॉल्यूम-1 के मुताबिक, दुनियाभर में कैश के सर्कुलेशन का सीधा संबंध भ्रष्टाचार और गैरकानूनी गतिविधियों से है। जितना ज्यादा कैश का चलन उतना ही देश में भ्रष्टाचार ज्यादा होगा।
ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट की माने तो, भ्रष्टाचार के मामले में दुनिया के 188 देशों में से भारत का स्थान 78वां है। भारत को 41 अंक मिले हैं, जो कि वैश्विक औसत 43 अंक से भी कम हैं।
ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल की चेयरपर्सन डेलिया फेरेरा रुबियो के मुताबिक, वहां भ्रष्टाचार ज्यादा देखा जाता है, जहाँ की देशों में लोकतांत्रिक संस्थाएं कमजोर होती हैं।
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