सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त मॉनिटरिंग कमिटी के आदेशों पर दिसंबर 2017 में सीलिंग ड्राइव शुरू हुई और 6,000 से अधिक व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को दिल्ली में सील कर दिया गया। कई व्यापारियों ने इस पर आवाज़ उठाई “राज्य का दर्जा कोई परेशानी नहीं है, लेकिन केंद्र को राज्य सरकार को अकेला छोड़ देना चाहिए”।
दिल्ली के लोकप्रिय बाजारों में सैकड़ों दुकानों को दिल्ली के नगर निगमों द्वारा अनधिकृत निर्माण के लिए सील कर दिया गया था। दिल्ली में सीलिंग अभियान एमसीडी द्वारा चलाया गया, जिसका नेतृत्व भाजपा करती है।
हालाकि, भाजपा यह देखने में असफल रही की कि सीलिंग के कारण जिन व्यापारियों की दुकानें बंद हो गई हैं, उन्हें कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। सीलिंग ड्राइव ने व्यापारियों की कमर तोड़ दी और लाखों व्यापारी इसकी चपेट में आ गए।
यह पहली बार नहीं है कि दिल्ली में सीलिंग ड्राइव चलाया गया। दिल्ली में 2006 में बड़े पैमाने पर सीलिंग ड्राइव हुई थी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने ही एमसीडी को फरवरी 2006 में आवासीय क्षेत्रों में अनधिकृत निर्माण को हटाने के लिए नोटिस भेजा था।
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मार्च 2006 में, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में सभी अनधिकृत निर्माण को सील करने का आदेश दिया और सीलिंग ड्राइव के नेतृत्व के लिए एक निगरानी समिति नियुक्त की।
केंद्र में कांग्रेस सरकार के सत्ता में होने के कारण सीलिंग ड्राइव को रोकने के लिए एक कानून लाया गया और मास्टर प्लान 2021 में कुछ संशोधन किए गए, जिससे व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को अधिक छूट मिली।
दिल्ली मास्टर प्लान 2021 के तहत व्यावसायिक और आवासीय प्रतिष्ठान एक साथ काम कर सकते हैं, भले ही वे प्रतिबंधित तरीके से हो।
कांग्रेस नेता अजय माकन ने कहा है कि केंद्रीय शहरी विकास मंत्री होने के नाते, वह मई 2006 में एक सप्ताह के भीतर सीलिंग को रोकने के लिए एक कानून लेकर आए थे और उनके चुनाव जीतने के बाद ऐसा होने की संभावनाएँ फिर से बढ़ेंगी।
यहाँ पर गौर करने वाली बात ये है कि कांग्रेस ने हमेशा लोगों के पक्ष में काम किया है। काँग्रेस समझती है कि लोग अपनी रोज़ी रोटी कैसे कमाते हैं और यह भी कि हर समस्या का समाधान शांति और समझदारी से संभव है।
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